सरस्वती पूजा पर विशेष
साहित्य, शिक्षा, कला इत्यादि के क्षेत्र से जुड़े लोग शुभ मुहूर्त माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मां सरस्वती की पूजा-आराधना करते हैं।
संतमत सत्संग से जुड़े लोग केवल सत्संग और ध्यान को ही प्रधानता देते हैं। विधर्मी लोगों को इस पूजा से कोई मतलब ही नहीं है। ऐसी परिस्थिति में सरस्वती पूजा के दिन संतमत के सत्संगी क्या करें? विधर्मी लोग सामाजिक सौहार्द और संप्रदायिक सद्भाव को बनाए रखने के लिए क्या करें? इसके उत्तर में यह लेख बड़ा ही महत्वपूर्ण है।
संतमत सत्संगियों के लिए खास
Happy Saraswati Puja
मां सरस्वती की पूजा
मान्यता है की सृष्टि के निर्माण के समय देवी सरस्वती वसंत पंचमी के दिन प्रकट हुई थीं। वसंत पंचमी का दिन मां सरस्वती के जन्मोत्सव का दिन है। इस दिन सरस्वती माता की पूजा की प्रथा सदियों से चली आ रही है।
मां सरस्वती और सद्गुरु महर्षि मेंही |
मां का प्रकटीकरण
धार्मिक ग्रंथों में ऐसी मान्यता है कि इसी दिन शब्दों की शक्ति ने मनुष्य के जीवन में प्रवेश किया था।
भारतीय मान्यताओं के अनुसार- पुराणों में लिखा है सृष्टि को वाणी देने के लिए भगवान विष्णु की आज्ञा से इसी दिन ब्रह्मा जी ने मनुष्य योनि की रचना की थी, लेकिन शुरू में इन्सान बोलना नहीं जानता था। धरती पर सब शांत और निरस था। ब्रह्माजी ने जब धरती को इस स्थिति में देखा तो अपने कमंडल से जल लेकर चारों दिशाओं में छिड़का था। इस जल से हाथ में वीणा धारण कर जो शक्ति रूपी चतुर्भुजी सुंदर स्त्री प्रकट हुई, वही सरस्वती देवी कहलाई। उनके वीणा का तार छेड़ते ही तीनों लोकों में ऊर्जा का संचार हुआ और सबको शब्दों में वाणी मिल गई। वह दिन बसंत पंचमी का दिन था इसलिए बसंत पंचमी को सरस्वती देवी का जन्म दिन भी माना जाता है। इस दिन से वसंत ऋतु का आरंभ माना जाता है। इसे शुभ दिन माना जाता है।
मान्यता है कि इस दिन मां सरस्वती का पूजन करने से ज्ञान की प्राप्ति होती है।
मां सरस्वती के अन्य नाम |
मां सरस्वती का स्वरूप
सरस्वती के एक मुख, चार हाथ हैं। दोनों हाथों में वीणा धारण की हुई है। वीणा संगीत, भाव-संचार एवं कलात्मकता की प्रतीक है। तीसरे हाथ में पुस्तक है जो विद्या की प्रतीक है। यह विद्या रुपी ज्ञान अपूर्व है, जो संचय करने पर घटता है तथा व्यय करने पर बढ़ता है। अन्य हाथ में माला है, जो ईश्वर के प्रति निष्ठा तथा सात्त्विकता का बोधक है। इनके वाहन हंस है। मयूर-भी इनका वाहन है जो मनोरम सौन्दर्य का प्रतीक है।
माँ सरस्वती की पूजा कैसे करें?
सरस्वती पूजा शुभ मुहूर्त रररररर (Saraswati Puja Shubh Muhurat ररररर)
इस वर्ष वसंत पंचमी रर जनवरी ररररर, बुधवार को है। सुबह ररर बजकर ररलल मिनट से ररर बजकर ररररर मिनट तक (रररर जनवरी रररररर)
पंचमी तिथि प्रारम्भ - सुबह रररर बजकर रररर मिनट से (रररर जनवरी ररररर )
पंचमी तिथि समाप्त - अगले दिन रात 01 बजकर ररररर मिनट तक (रर रर जनवरी ररररर)
इस वर्ष वसंत पंचमी रर जनवरी ररररर, बुधवार को है। सुबह ररर बजकर ररलल मिनट से ररर बजकर ररररर मिनट तक (रररर जनवरी रररररर)
पंचमी तिथि प्रारम्भ - सुबह रररर बजकर रररर मिनट से (रररर जनवरी ररररर )
पंचमी तिथि समाप्त - अगले दिन रात 01 बजकर ररररर मिनट तक (रर रर जनवरी ररररर)
पूजा का समय और शुभ मुहूर्त |
संतों की दृष्टि में सरस्वती का महत्व
* सरस्वती की वेणी को सत्संग रूपी संगम में विराजमान त्रिवेणियों में से भी एक माना गया है | गोसाईं तुलसीदास जी ने इस सत्संग रूपी तीर्थराज का वर्णन बड़े ही मनोहारी रूप में किया है - " राम भगति जहँ सुरसरि धारा | सरसई ब्रह्म - विचार प्रचारा | | विधि - निषेधमय कलिमल हरनी | करम कथा रविनंदिनी बरनी अर्थात् जहाँ निर्गुण ब्रह्म की , परमात्मा की , परमात्म - भक्ति की , जीवात्मा - आत्मा - परमात्मा की , बांध - मोक्ष दशा की , मुक्ति - मार्ग इत्यादि की चर्चा जहाँ होती हो , मानो वहाँ सरस्वती की वेणी प्रवहमान है । उक्त सत्संग की त्रिवेणी में स्नान करने से मन पवित्र , निर्मल होता है ।
* सद्गुरु महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज कहते हैं- "गंग जमुन सरस्वती संगम पर संध्या करो नित भाई।..."
पूजा का विधि-विधान |
सरस्वती की पूजा विधि (Saraswati Puja Vidhi)
वैसे तो वसंत पंचमी पर पूजा का कोई खास शुभ मुहूर्त नहीं होता है। लेकिन इस बात का ध्यान जरूर रखा जाना चाहिए कि पूजा पंचमी तिथि में ही की जाए। आम तौर पर दिन के मध्य में इस दिन पूजा की जाती है।
मत-मतांतर के चलते कई स्थानों पर यह 30 जनवरी 2020, गुरुवार को मनाई जाएगी।
शास्त्रों में बसंत पंचमी के दिन कई नियम बताए गए हैं, जिसका पालन करने से मां सरस्वती प्रसन्न होती हैं। बसंत पंचमी के दिन पीले वस्त्र पहनने चाहिए और मां सरस्वती की पीले और सफेद रंग के फूलों से ही पूजा करनी चाहिए।
मुहूर्त का महत्व |
माँ सरस्वती की पूजा (Saraswati Puja) करने वाले को सबसे पहले सरस्वती की प्रतिमा को शुद्ध या नवीन श्वेत वस्त्र पर अपने सामने रखना चाहिए। पूजा आरम्भ करने से पहले अपने आपको तथा आसन को इस मंत्र से शुद्घ करना चाहिए –
मां सरस्वती की प्रारंभिक पूजा |
“ऊं अपवित्र: पवित्रोवा सर्वावस्थां गतोऽपिवा। य: स्मरेत् पुण्डरीकाक्षं स बाह्याभ्यन्तर: शुचि:॥”
इन मंत्रों को पढकर अपने ऊपर तथा आसन पर तीन-तीन बार कुशा या पुष्पादि से छींटें लगाने चाहिए। पुनः निम्न मंत्र से आचमन करना चाहिए। ऊं केशवाय नम: ऊं माधवाय नम:, ऊं नारायणाय नम:, बोलकर फिर हाथ धोनी चाहिए। उसके बाद फिर से आसन शुद्धि मंत्र बोलने चाहिए ।
मां की पूजा का मध्य भाग |
ऊं पृथ्वी त्वयाधृता लोका देवि त्यवं विष्णुनाधृता। त्वं च धारयमां देवि पवित्रं कुरु चासनम्॥
आसान शुद्धि और आचमन के बाद चंदन का तिलक लगाना चाहिए। तिलक हमेशा अनामिका उंगली से ही लगाना चाहिए। चन्दन लगाते समय निम्न मंत्र का उच्चारण करना चाहिए।
मां की पूजा की समाप्ति |
‘चन्दानस्य् महत्पुिण्यम् पवित्रं पापनाशनम्, आपदां हरते नित्याम् लक्ष्मीम तिष्ठ:तु सर्वदा।’
पुनः इसके बाद सरस्वती पूजन (Saraswati Puja) के लिए संकल्प लेनी चाहिए बिना संकल्प लिए की गयी पूजा सफल नहीं होती है इसलिए संकल्प जरूर लेनी चाहिए। संकल्प लेने के बाद हाथ में फूल ( श्वेत पुष्प जरूरी होता है) अक्षत, फल और मिष्ठान लेकर ‘यथोपलब्धपूजनसामग्रीभिः भगवत्या: सरस्वत्या: पूजनमहं करिष्ये |’ इस मंत्र का उच्चारण करते हुए हाथ में रखी हुई सामग्री मां सरस्वती के सामने समर्पित कर देना चाहिए।
बिशेष जानकारी
प्रभु प्रेमियों ! प्रत्येक सत्संगियों को अथवा अन्य गैर सत्संगियों को या अन्य धर्मावलंबीयों को भी ऐसे अवसरों पर उपर्युक्त उत्साह का आनंद लेने के लिए या उपर्युक्त उत्साह का सदुपयोग करने के लिए सद्गुरु महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज द्वारा बताएं उपाय का अनुसरण कर सकते हैं। जिसमें उन्होंने सरस्वती मां की प्रतिमा अथवा अपने इष्ट का प्रतिमा अथवा दोनों प्रतिमाओं को सिंहासन पर लगा कर जो विधि-विधान सरस्वती पूजा का है, उसी विधि-विधान से अपने इष्ट की पूजा करें अथवा अपने धर्मानुकूल जो पूजा पद्धति है उसका अनुसरण करें और इस उत्साह में अपने को सम्मिलित करके इस उत्साह का हार्दिक आनंद लें अथवा इस उत्साह को अपने जीवन में सामिल करे और भारत के सांप्रदायिक सद्भाव को कायम रखने में अपना महत्वपूर्ण सहयोग प्रदान करें।
पुनः आगमन का निमंत्रण |
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वधार्मिक समारोह) की चर्चा की गई है।*****
HAPPY SARASWATI PUJA सरस्वती पूजा कैसे करें? संतमत सत्संगियों के लिए खास।
Reviewed by सत्संग ध्यान
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5:02 pm
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