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'महर्षि मेँहीँ-पदावली' की प्रश्नोत्तरी || संतमत - सत्संग की एक अद्वितीय पुस्तक

महर्षि मेँहीँ-पदावली' की प्रश्नोत्तरी

     इस पुस्तक में प्रश्न और उत्तर के द्वारा 'महर्षि मेँहीँ-पदावली' के गूढ़ ज्ञान का उद्‌घाटन किया गया है। अपने कल्याण के इच्छुक प्रत्येक व्यक्ति को इस पुस्तक के ज्ञान से अवश्य लाभ उठाना चाहिए। 

महर्षि मेँहीँ पदावली' की प्रश्नोत्तरी
महर्षि मेँहीँ पदावली' की प्रश्नोत्तरी


मूल्य ₹१०/- मात्र  औफलाइन                     पृष्ठ-संख्या - ४८  


पुस्तक-प्राप्ति-पता- ब्रजेश दास सन्तनगर, बरारी, भागलपुर- ३ (बिहार)


महर्षि मेँहीँ पदावली' की प्रश्नोत्तरी 


नोट-  इसे आप ओनलाइन मंगा सकते हैं। इसके लिए आप अपना पूरा पता और ₹100/- ( पुस्तक मूल्य+पैकिंग चार्ज + शिपिंग चार्ज )  भेजें। ज्यादा जाने

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सचेतन


विशेष--   जय गुरु महाराज! बात ऐसा है कि👉 पांचों बुक निम्नलिखित हो सकता है   1. महर्षि मेंहीं पदावली की प्रश्नोत्तरी  2. स्तुति प्रार्थना कैसे करें?  3. महर्षि मेंहीं के प्रिय भजन  4. महर्षि मेंहीं गीतांजलि  5. पौराणिक पात्र  ।    ये पांचों बुक भेजा जा सकता है या इसमें कुछ बदलाव करके भेजा जा सकता है। नहीं तो केवल महर्षि मेंहीं पदावली की प्रश्नोत्तरी ही पांच प्रति भेजा जाएगा। 


इसमें उपलब्ध कुछ प्रश्नों के नमूने



॥ ॐ श्रीसद्गुरवे नमः ॥

'महर्षि मेँहीँ - पदावली' की प्रश्नोत्तरी

१. हम संतमत के सत्संगी प्रत्येक दिन स्तुति-प्रार्थना क्यों किया करते हैं?

     --'स्तुति' का अर्थ होता है- प्रशंसा करना, गुणगान करना और 'प्रार्थना' का अर्थ है- नम्रतापूर्वक किसी से कुछ माँगना। हम जिनकी प्रशंसा करते हैं, वे हमपर प्रसन्न होते हैं और हम जिसकी निन्दा करते हैं, वह हमपर अप्रसन्न होता है। जो हमपर प्रसन्न होते हैं, वे हमारी भलाई करते हैं और जो हमपर अप्रसन्न रहता है, वह हमारी बुराई करता है।

     हम संतमत सत्संग के अनुयायी प्रतिदिन ईश्वर, संत और गुरु की स्तुति करते हैं। इससे ईश्वर, संत और गुरु हमपर प्रतिदिन प्रसन्न रहते हैं और हमपर अपनी कृपा बनाये रखते हैं। जो हमपर प्रसन्न रहा करेंगे, वह हमारी माँग अवश्य पूरी करेंगे।

     स्तुति के पद्य में इष्टदेव के गुणगान के साथ-साथ उनसे हमारी कोई माँग भी होती है। इसी प्रकार प्रार्थना के पद्य में भी इष्टदेव से किसी पदार्थ की माँग के साथ-साथ कुछ-न-कुछ उनका गुणगान भी रहता है।

     हम जिनका गुणगान करना छोड़ देंगे, वे अपनी कृपा हमारी ओर से हटा लेंगे, तब हमें हानि ही होगी, लाभ नहीं। हम जिसकी निन्दा सदैव करते रहेंगे, वह हमसे सदैव अप्रसन्न रहा करेगा और वह हमारा अशुभ सोचता रहेगा।

     जो प्रत्येक दिन स्तुति प्रार्थना नहीं करते हैं, वे अपनी बड़ी भारी हानि करते हैं।


प्रेम-भक्ति गुरु दीजिए, विनवौं कर जोड़ी ।
पल-पल छोह न छोड़िए, सुनिये गुरु मोरी ॥
                                                (९ वाँ पद्य)

गुरुपद   पंकज    सेवा,      तीसरि भगति अमान । 
चौथि भगति मम गुन गन, करइ कपट तजि गान ॥
                                ('मानस' की नवधा भक्ति )







     प्रभु प्रेमियों ! सभी लोगों से विनम्रता पूर्वक निवेदन है 👉 जिनको भी अपने क्षेत्र के संतमत सत्संग कार्यक्रम का चाहे ध्यानाभ्यास हो या सत्संग का कार्यक्रम हो। अगर उनको ऑनलाइन अपने कार्यक्रम का  प्रचार कराना है; तो वे हमारे व्हाट्सएप नंबर 7547006282 पर कार्यक्रम से संबंधित उपरोक्त तस्वीर जैसा  सभी जानकारी का  मैसेज कर दें, अपने प्रोग्राम का अगर कोई विज्ञापन छपाया है तो उसका फोटो या आपके पास प्रोग्राम की जो भी अधिकतम जानकारी है उसे लिखकर उसका फोटो खीचकर दोनों तरह से भेज दें। यह नि:शुल्क है। इस नंबर पर फोन ना करें । 



'महर्षि मेँहीँ-पदावली' की प्रश्नोत्तरी || संतमत - सत्संग की एक अद्वितीय पुस्तक 'महर्षि मेँहीँ-पदावली' की प्रश्नोत्तरी  ||  संतमत - सत्संग की एक अद्वितीय पुस्तक Reviewed by सत्संग ध्यान on 12:12 pm Rating: 5

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